Artistic depiction of Shri Narasimha Ashtakam showcasing divine courage and protection

नृसिंह अष्टकम | Shri Narasimha Ashtakam

॥ अथ श्रीनृसिंहाष्टकम् ॥

सुन्दरजामातृमुनेः प्रपद्ये चरणाम्बुजम्।संसारार्णवसंमग्नजन्तुसंतारपोतकम्॥

श्रीमदकलङ्क परिपूर्ण! शशिकोटि-श्रीधर! मनोहर! सटापटल कान्त!।
पालय कृपालय! भवाम्बुधि-निमग्नंदैत्यवरकाल! नरसिंह! नरसिंह!॥1॥

पादकमलावनत पातकि-जनानांपातकदवानल! पतत्रिवर-केतो!।
भावन! परायण! भवार्तिहरया मांपाहि कृपयैव नरसिंह! नरसिंह!॥2॥

तुङ्गनख-पङ्क्ति-दलितासुर-वरासृक्पङ्क-नवकुङ्कुम-विपङ्किल-महोरः।
पण्डितनिधान-कमलालय नमस्तेपङ्कजनिषण्ण! नरसिंह! नरसिंह!॥3॥

मौलेषु विभूषणमिवामर वराणांयोगिहृदयेषु च शिरस्सु निगमानाम्।
राजदरविन्द-रुचिरं पदयुगं तेदेहि मम मूर्ध्नि नरसिंह! नरसिंह!॥4॥

वारिजविलोचन! मदन्तिम-दशायांक्लेश-विवशीकृत-समस्त-करणायाम्।
एहि रमया सह शरण्य! विहगानांनाथमधिरुह्य नरसिंह! नरसिंह!॥5॥

हाटक-किरीट-वरहार-वनमालाधाररशना-मकरकुण्डल-मणीन्द्रैः।
भूषितमशेष-निलयं तव वपुर्मेचेतसि चकास्तु नरसिंह! नरसिंह!॥6॥

इन्दु रवि पावक विलोचन! रमायाःमन्दिर! महाभुज!-लसद्वर-रथाङ्ग!।
सुन्दर! चिराय रमतां त्वयि मनो मेनन्दित सुरेश! नरसिंह! नरसिंह!॥7॥

माधव! मुकुन्द! मधुसूदन! मुरारे!वामन! नृसिंह! शरणं भव नतानाम्।
कामद घृणिन् निखिलकारण नयेयंकालममरेश नरसिंह! नरसिंह!॥8॥

अष्टकमिदं सकल-पातक-भयघ्नंकामदं अशेष-दुरितामय-रिपुघ्नम्।
यः पठति सन्ततमशेष-निलयं तेगच्छति पदं स नरसिंह! नरसिंह!॥9॥

॥ इति श्रीनृसिंहाष्टकं सम्पूर्णम् ॥
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