Illustration depicting a devotee performing a ritual offering to ancestors for Shri Pitar Chalisa recitation

श्री पितृ चालीसा | श्री पितर चालीसा

॥ दोहा ॥

हे पितरेश्वर आपको,दे दियो आशीर्वाद।
चरणाशीष नवा दियो,रखदो सिर पर हाथ॥

सबसे पहले गणपत,पाछे घर का देव मनावा जी।
हे पितरेश्वर दया राखियो,करियो मन की चाया जी॥

॥ चौपाई ॥

पितरेश्वर करो मार्ग संघ। चरण रज की मुक्ति सागर॥
परम उपकार पित्तरेश्वर कीन्हा।मनुष्य योनि में जन्म दीन्हा॥

मातृ-पितृ देव मनजो भावे।सोए अमित जीवन फल पावे॥
जय-जय-जय पितृ जी साईं। पितृ ऋण बिन मुक्ति नहीं॥

चारों ओर प्रताप महारानी।संकट में तेरा ही सहारा॥
नारायण आधार रचना का.पित्तरजी अंश एक ही दृष्टि का॥

प्रथम पूजन प्रभु आज्ञा सुनाते।भाग्य द्वार आप ही आबादते॥
झुंझुनू में दरबार है साजे।सब देवों संग आप विराजे॥

प्रिय होय मनवांछित फल दीन्हा। कुपित होय बुद्धि हर लीन्हा॥
पित्तर महिमा सबसे न्यारी।जिसका गुणगावे नर नारी॥

तीन मन में आप बिराजे।बसु रुद्र आदित्य में साजे॥
नाथ सकल सारसर्ग। मुख्य सेवक सहित सुत नारी॥

छप्पन भोग नहीं हैं भाते।शुद्ध जल से ही तृप्त हो जाते हैं॥
फ़ाइ भजन परम हितकारी। छोटे बड़े सभी अधिकारी॥

भानु उदय संग आप पुजावै।पांच अँजुली जल रिझावे॥
ध्वज पताका मांड पे है साजे।अखंड ज्योति में आप विराजे॥

सौतेली पुरानी ज्योति विवाह।धन्यहुई जन्म भूमि हमारी॥
शहीद हमारे यहां पूजाते।मातृ भक्ति संदेश सुनाते॥

जगत पितृरो सिद्धांत हमारा। धर्म जाति का नहीं है नारा॥
युवा, मुस्लिम, सिख, ईसाई। सब पूजे पितृ भाई॥

युवा वंश वृक्ष है हमारा।जान से सबसे ज्यादा हमको प्यारा॥
गंगा ये मरुप्रदेश की।पितृ तर्पण अनिवार्य पर्यावरण की॥

बन्धु बाकी चरणाँइन्हीं की कृपा से मिले प्रभु शरणा॥
चौदस को जगाव करवाते।अमावस को हम ढोक केला॥

जात जडूला सभी मॅनेक। नंदीमुख श्राद्ध सभी करवाते॥
धन्य जन्म भूमि का वो फूल है। पितृ मण्डल की मिली धूल है॥

श्री पित्तर जी भक्त हितकारी।सुन लीजिए प्रभु अरज हमारी॥
निशदिन ध्यान धरे जो कोई।ता सम भक्त और नहीं कोई॥

अनाथ के नाथ सहाई। दीन के हो तुम सदा सहाई॥
चारिक वेद प्रभु के साखी।तुम भक्तों की लज्जा राखि॥

नाम तुम्हें लेत जो कोई।ता सम धन्य और नहीं कोई॥
जोफ़े नित पाँव पलोत।नवों सिद्धि चरण में लोट॥

सिद्धि लक्ष्य सब मंगलकारी।जो पे तुम जावे बलिहारी॥
जोफ़े चरणा चित्त लावे.ताकी मुक्ति अवसी हो जावे॥

सत्य भजन तुम्हारो जो गावे।सो सत्य चारों ओर फल पावे॥
तुम्हीं देव कुलदेव हमारे। तुम्हीं गुरुदेव प्राण से प्रिये॥

सत्य अस मन में जो होइ।मनवांछित फल पावें सोइ॥
तुम्हारी महिमा बुद्धि बड़ाई।शेष सहस्र मुख सके न गाई॥

मैं अतिदिन मलीन विधि दुखारी। करहु कौन विन्या विवाह॥
अब पितृ जी दया दीन पर कीजै। अपनी भक्ति शक्ति कछु दीजै॥

॥ दोहा ॥

पित्तरौं को स्थान दो,तीर्थ और स्वयं ग्राम।
श्रद्धा सुमन चढ़ें वहां,पूरा हो सब काम॥

झुंझुनू धाम विराजे हैं,पित्तर हमारे महान।
दर्शन से सफल जीवन हो,पूजे सकल जहां॥

जीवन सफल जो चाहिए,चले झुंझुनू धाम।
पित्तर चरण की धुलाई ले,हो जीवन सफल महान॥
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