Majestic statue of Lord Shiva with a serpent, symbolizing Somwar Ki Aarti significance

सोमवार की आरती | सोमवार की आरती

॥ शिवजी की आरती ॥

ॐ जय शिव ओंकारा भगवान शिव की सबसे प्रसिद्ध आरती है। यह प्रसिद्ध आरती भगवान शिव से संबंधित अधिकांश अवसरों पर गायी जाती है। आरती के समय भगवान शिव की पूजा से सभी भक्तों को यह प्रार्थना मिलती है।

ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव,अर्धांगी धारा॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

एकानं चतुराननपंचानन राजे।
हंसासन गरूड़ासनवृषवाहन साजे॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

दो भुज चार चतुर्भुजसभुज अति सोहे।
त्रिगुण रूप निराखतेत्रिभुवन जन मोहे॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

अक्षमाला वनमालामुंडमाला धारी।
त्रिपुरारी कंसारी मंगल धारी॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

श्वेताम्बर पीताम्बरबाघम्बर अंगे।
सनकादिक गुरुणादिकभूतादिक संगे॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

कर के मध्य कमण्डलुचक्र त्रिशूलधारी।
सुखकारी दुखहारीजगपालन करि॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिवजानत अविवेका।
प्रणवाक्षर मध्यये त्रि एका॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

लक्ष्मी व सावित्रीपार्वती संगा।
पार्वती अर्धांगी, शिवलहरी गंगा॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

पर्वत सोहैं पार्वती, कैलाशंकरसा।
भांग धतूर का भोजन,भस्मी में वसा॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

जटा में गंगा बहती है,गल मुंडन मंगल।
शेष नाग ललनावत,ओढ़त मृगछाला॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

काशी में विराजे विश्वनाथ,नंदी ब्रह्मचारी।
नित उठे दर्शन पावत, महिमा अति भारी॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

त्रिगुणस्वामी जी की आरतीजो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद, स्वामीमनवांछित फल पावे॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥
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