श्री कुबेर कवच यंत्र
श्री कुबेर कवच यंत्र
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श्री कुबेर कवच यंत्र के क्या लाभ हैं?
हिंदू धर्म में यंत्रों का बहुत महत्व है। यंत्र न केवल व्यक्ति को मनचाहा वरदान दिलाने में सहायक सिद्ध होते हैं, बल्कि इनके माध्यम से देवी-देवताओं की विशेष पूजा भी की जा सकती है। प्रत्येक यंत्र का अपना तारण मंत्र होता है। यानी एक ऐसा मंत्र जिसके प्रभाव से यंत्र सिद्ध होने लगता है और मनोकामनाएं पूरी होती चली जाती हैं।
शास्त्रों में अलग-अलग उद्देश्यों के लिए अलग-अलग यंत्रों का वर्णन किया गया है। श्री कुबेर कवच यंत्र इन्हीं में से एक है। धन प्राप्ति के लिए कुबेर यंत्र की स्थापना की जाती है। किसी भी तरह की आर्थिक स्थिति को दूर करने के लिए कुबेर यंत्र की पूजा करने का विधान है। मान्यता है कि मां लक्ष्मी के अलावा केवल कुबेर देव ही हैं जो व्यक्ति को धन-संपत्ति का आशीर्वाद देते हैं।
घर में कुबेर यंत्र स्थापित करने और उसकी पूजा करने से कई लाभ मिलते हैं, लेकिन व्यक्ति को ये लाभ तभी मिल सकते हैं जब वह व्यक्ति कुबेर यंत्र से जुड़े नियमों का पालन जरूर करे। हमारे विशेषज्ञ ज्योतिषी डॉ. राधाकांत वत्स से हमने कुबेर यंत्र रखने के नियमों के बारे में जानकारी प्राप्त की है, जो आज हम आपको बताने जा रहे हैं।
श्री कुबेर कवच यंत्र विधि
- श्री कुबेर यंत्र खरीदकर घर लाएं।
- उस यंत्र को पीले कपड़े में लपेटकर मंदिर के सामने एक बर्तन में रख दें (घर के मंदिर के वास्तु नियम)।
- अगले दिन प्रातः स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।
- साफ कपड़े पहनें और एक छोटे बर्तन में पानी लेकर आएं।
- लुटिया में पानी के साथ-साथ एक अलग बर्तन में गंगाजल और कच्चा दूध भी लें।
- अब एक आसन बिछाकर उस पर बैठ जाएं और कुबेर यंत्र को कपड़े से बाहर निकाल लें।
- सीधे हाथ में जल भरें और कुबेर यंत्र पर चढ़ाएं।
- फिर कुबेर यंत्र का गंगाजल या कच्चे दूध से अभिषेक करें।
- अभिषेक के बाद 'ॐ श्रीं, ॐ ह्रीं श्रीं, ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय: नम:' मंत्र का 11 या 21 बार जाप करें।
- मंत्र का जाप करने के बाद धन के देवता कुबेर का स्मरण करें और उनसे अपनी आर्थिक समस्याओं के समाधान के लिए प्रार्थना करें।
- प्रार्थना के बाद कुबेर यंत्र को मंदिर या तिजोरी में स्थापित करें।
श्री कुबेर कवच यंत्र नियम
- कुबेर यंत्र सोना, तांबा, भोजपत्र या अष्टधातु का होना चाहिए।
- यदि कुबेर यंत्र को मंदिर में रखा जाए तो उसे पूर्व दिशा में रखना चाहिए (भूलकर भी पूर्व दिशा में ये चीजें न रखें)।
- दिन का ध्यान रखते हुए मंगलवार या शनिवार को ही मंदिर में कुबेर यंत्र स्थापित करें।
- इसे मंदिर या तिजोरी में स्थापित करने के बाद रोजाना इसकी पूजा करना न भूलें।
- प्रतिदिन जलाभिषेक करके यंत्र को शुद्ध करना सुनिश्चित करें।
- कुबेर यंत्र को कभी भी गले में न पहनें, क्योंकि गृहस्थ जीवन में संतों जैसी पवित्रता संभव नहीं है।

