लाल मूंगा, जो अपने शक्तिशाली और ऊर्जावान प्रभाव के लिए प्रसिद्ध है, मंगल ग्रह का रत्न माना जाता है। यह रत्न धारण पूजा विधि करने से पहले कुछ विशेष वैदिक करण और शुद्धीकरण अनुष्ठान करना चाहिए। इस ब्लॉग में हम लाल मूंगा रत्न को धारण करने की वैदिक पूजा विधि का विस्तार से बताएंगे।
स्वामी ग्रह
मंगल ग्रह को ऊर्जा, शक्ति और साहस का प्रतीक माना जाता है। लाल मूंगा इस ग्रह की ऊर्जा को स्थापित करने और व्यक्ति के जीवन में साहस और साहस में सहायक होता है।
मूंगा रत्न को किस धातु में पहना जाता है?
लाल मूंगा रत्न ( मूंगा रत्न ) को सोने या पत्थरों की अंगूठी में जड़वाकर धारण करना चाहिए। ये धातुएं मंगल ग्रह की ऊर्जाओं को सकारात्मक रूप से प्रवाहित करने में सहायक होती हैं।
मूंगा रत्न को धारण करने का शुभ दिन
लाल मूंगा रत्न को मंगलवार के दिन धारण करना सबसे उत्तम माना जाता है, क्योंकि यह दिन मंगल ग्रह को समर्पित होता है।
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लाल मूंगा रत्न को किस मूंगा रत्न में धारण करना चाहिए?
इस रत्न को अनामिका उंगली (रिंग फिंगर) में धारण करना चाहिए। यह उंगली मंगल ग्रह के प्रभावों से संबंधित है।
मूंगा रत्न की शुद्धिकरण विधि
- रत्नों की परिभाषा से पहले, इसे गंगाजल, दूध, शहद और शुद्ध जल से शुद्ध करें।
- इसके बाद, इसे एक साफ कपड़े पर धुलाई धूप और अगरबत्ती से पवित्र करें।
मूंगा रत्न की व्याख्या की प्रक्रिया
- शुद्धिकरण के बाद, मंगलवार के दिन सुबह के समय, रत्न को धारण करें।
- पूजा स्थान पर रखें, मंगल ग्रह के मंत्र "ॐ अं अंगारकाय नम:" का 108 बार जाप करें।
- मंत्र जाप के बाद, रत्न को अनामिका उंगली में धारण करें और मंगल ग्रह को अपना संकल्प सुरक्षित करें।
लाल मूंगा रत्न धारण करने से पहले वैदिक पूजा में शामिल होने से पहले रत्न की सकारात्मक ऊर्जाएं मुख्य रूप से प्रभावित हो सकती हैं और व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकती हैं।