Vibrant illustration of Vindhyeshwari Mata Aarti showcasing the goddess with a tiger and elaborate details

विन्ध्येश्वरी माता की आरती | Vindhyeshwari Mata Aarti

॥ श्री विन्ध्येश्वरी माता जी की आरती ॥

सुन मेरी देवी पर्वतवासिनि,तेरा पार न पाया। x2
पान सुपारी ध्वजा नारियल,ले तेरी भेंट चढ़ाया॥

जय विन्ध्येश्वरी माता॥

सुवा चोली तेरे अंग विराजै,केशर तिलक लगाया।
नंगे पांव अकबर जाकर,सोने का छत्र चढ़ाया॥

जय विन्ध्येश्वरी माता॥

ऊँचे ऊँचे पर्वत बना देवालय,नीचे शहर बसाया।
सत्युग त्रेता द्वापर मध्ये,कलयुग राज सवाया॥

जय विन्ध्येश्वरी माता॥

धूप दीप नैवेद्य आरती,मोहन भोग लगाया।
ध्यानू भगत मैया (तेरा) गुण गावैं,मन वांछित फल पाया॥

जय विन्ध्येश्वरी माता॥
ब्लॉग पर वापस जाएं