॥ आरती श्री रविदास जी की ॥
नामु तेरो आरती भजनु मुरारे,हरि के नाम बिनु सिद्धार्थ सगल पसारे।
नाम तेरा सारनो नाम तेरा उर्सा, नामु तेरा केसरो ले चितकारो।
नाम तेरा अन्भुला नाम तेरा चंदनोघसि,जपे नाम ले तुहि कू चारे।
नाम तेरो दिवा नाम तेरो, नाम तेरो तेल बात ले माही पसारे।
नाम तेरे की ज्योति जगाई, भीलो उजिरो भवन सगलारे।
नाम तेरो तगा नाम फूल माला, भार चौथा सगल जूठारे।
तेरो कियो तू ही किया अरपौ, नाम तेरो तुही चंवर ढोलारे।
दस अथा अट्ठथे चारे खानी, इहै वरतनि है सगल संसारे।
कहै 'रविदास' नाम तेरो आरती,सतिनाम है हरिभोगे।