Vibrant illustration of Shani holding a spear, with cosmic background, highlighting Shaniwar Ki Aarti

शनिवार आरती | शनिवार की आरती

॥ शनिदेव की आरती ॥

जय शनि देवा, जय शनि देवा शनिवार के दिन की सबसे लोकप्रिय आरती है। इस आरती को शनि देव की स्तुति करने के लिए शनिवार के दिन भक्तों द्वारा जाना जाता है।

जय शनि देवा, जय शनि देवा, जय जय जय शनि देवा।
पूर्ण सृष्टि में कोटि-कोटिजायन करें विवाह सेवा।

जय शनिदेव...॥

जा पर कुपिट होउ स्वामी तुम,घोर खोज वह पावे।
धन वैभव और मन-कीर्ति, सब पलभर में मिट जावे।
राजा नल को लगी शनि दशा, राजपाट हर लेवा।

जय शनिदेव...॥

जा पर आकर्षित होऊ तुम स्वामी,सकल सिद्धि वह पावे।
तोरा कृपा रहे तो,उसको जग में कौन सतावे।
ताँबा, तेल और तिल से जो,करें भक्तजन सेवा।

जय शनिदेव...॥

हर शनिवार विवाह,जय-जय कार जगत में होवे।
कलियुग में शनिदेव महत्तम,दु:ख दरिद्रता धोवे।
करु आरती भक्ति भाव सेभेंट चढ़ौं मेवा।

जय शनिदेव...॥


॥ शनिदेव की आरती ॥

चार भुजा ताहि छाजै शनि देव की एक और आरती है जिसे भक्त शनिवार के दिन मनाते हैं।

चार भुजा ताहि छाजै, गदा हस्त मित्र।

जय शनिदेव जी॥

रवि नंदन गज वंदन, यम अग्रज देवा।
कष्ट न सो नर सी,करते तब सेवा॥

जय शनिदेव जी॥

तेज अपारदर्शी, स्वामी सहा नहीं जावे।
तुम से विमुख जगत में,सुख नहीं पावे॥

जय शनिदेव जी॥

नमो नमः रविनन्दनसब ग्रह सिरताजा।
बंशीधर यश गावेरखियो प्रभु लाजा॥

जय शनिदेव जी॥
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