॥ आरती श्री ब्रह्मा जी ॥
पितु मातु सहायक स्वामी सखा, तुम ही एक नाथ हमारे हो।
जहाँ कुछ और आधार नहीं,तिनके तुम ही रखवारे हो।
सब भाँति सदा सुखदायक हो, दुःख निर्गुण नाशन हरे हो।
प्रतिपाल करो सिगरे जग को, अतिशय करुणा उर धरे हो।
भुली हैं हम तो तुमको, तुम तो हमारी सुधि नहीं बिसारे हो।
उपकारन को कुछ अंत नहीं, छिन ही छिन जो विस्तार हो।
महाराज महामहिम आपकी,मुझसे जन्में रविवार हो।
शुभ शांति निकेतन प्रेमनिधि, मन मंदिर के उजियारे हो।
इस जीवन के तुम जीवन हो,इन प्राण के तुम प्रिय हो।
तुम सों प्रभु पाय 'प्रताप' हरि,केही के अब और देखो।