Vibrant illustration of Lord Vishnu by the sea, representing Guruwar Ki Aarti celebration

गुरुवार आरती | Guruwar Ki Aarti

॥ बृहस्पतिवार की आरती ॥

ॐ जय बृहस्पति देवा,जय बृहस्पति देवा।
छिन छिन भोग लगाऊँ,कदली फल मेवा॥

ॐ जय बृहस्पति देवा॥

तुम पूर्ण परमात्मा,तुम अन्तर्यामी।
जगतपिता जगदीश्वर,तुम सबके स्वामी॥

ॐ जय बृहस्पति देवा॥

चरणामृत निज निर्मल,सब पातक हर्ता।
सकल मनोरथ दायक,कृपा करो भर्ता॥

ॐ जय बृहस्पति देवा॥

तन, मन, धन अर्पण कर,जो जन शरण पड़े।
प्रभु प्रकट तब होकर,आकर द्वार खड़े॥

ॐ जय बृहस्पति देवा॥

दीनदयाल दयानिधि,भक्तन हितकारी।
पाप दोष सब हर्ता,भव बन्धन हारी॥

ॐ जय बृहस्पति देवा॥

सकल मनोरथ दायक,सब संशय तारो।
विषय विकार मिटाओ,सन्तन सुखकारी॥

ॐ जय बृहस्पति देवा॥

जो कोई आरती तेरीप्रेम सहित गावे।
जेष्टानन्द बन्दसो सो निश्चय पावे॥

ॐ जय बृहस्पति देवा॥
ಬ್ಲಾಗ್‌ಗೆ ಹಿಂತಿರುಗಿ