ॐ जय ब्रह्माण्ड, जय ब्रह्माण्ड, जय ब्रह्माण्ड माता।
विष्णु पूजा व्रत धारण कर, शक्ति मुक्ति पाता॥
ॐ जय प्रभात...॥
विष्णु पूजा व्रत धारण कर, शक्ति मुक्ति पाता॥
ॐ जय प्रभात...॥
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तेरा नाम ओम देवी, भक्ति प्रदान करना।
गण गौरव की शास्त्र माता, शास्त्र में वर्णी॥
ॐ जय प्रभात...॥
गण गौरव की शास्त्र माता, शास्त्र में वर्णी॥
ॐ जय प्रभात...॥
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मार्गशीर्ष के कृष्णपक्ष की उत्पत्ति, विश्वतरणी जन्मी।
शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा, मुक्तिदाता बन आई॥
ॐ जय प्रभात...॥
शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा, मुक्तिदाता बन आई॥
ॐ जय प्रभात...॥
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पौष के कृष्णपक्ष की, सफला नामित है।
शुक्लपक्ष में होय पुत्रदा, आनंद अधिक रहै॥
ॐ जय प्रभात...॥
शुक्लपक्ष में होय पुत्रदा, आनंद अधिक रहै॥
ॐ जय प्रभात...॥
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नाम षटतिला माघ मास में, कृष्णपक्ष आवै।
शुक्लपक्ष में जया, कहावै, विजय सदा पावै॥
ॐ जय प्रभात...॥
शुक्लपक्ष में जया, कहावै, विजय सदा पावै॥
ॐ जय प्रभात...॥
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विजया फागुन कृष्णपक्ष में शुक्ला आमलाकी।
पापमोचनी कृष्ण पक्ष में, चैत्र महाबली की॥
ॐ जय प्रभात...॥
पापमोचनी कृष्ण पक्ष में, चैत्र महाबली की॥
ॐ जय प्रभात...॥
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चैत्र शुक्ल में नाम कामदा, धन देने वाली।
नाम बरुथिनी कृष्ण पक्ष में, स्वप्न माह वाली॥
ॐ जय प्रभात...॥
नाम बरुथिनी कृष्ण पक्ष में, स्वप्न माह वाली॥
ॐ जय प्रभात...॥
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शुक्ल पक्ष में होय मोहिनी अपरा ज्येष्ठ कृष्णपक्षी।
नाम निर्जला सब सुख करना, शुक्ल पक्ष रखना॥
ॐ जय प्रभात...॥
नाम निर्जला सब सुख करना, शुक्ल पक्ष रखना॥
ॐ जय प्रभात...॥
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योगिनी नाम आषाढ़ में जानों, कृष्णोपदेश करना।
देवशयनी नाम कहायो, शुक्लपक्ष धरनी॥
ॐ जय प्रभात...॥
देवशयनी नाम कहायो, शुक्लपक्ष धरनी॥
ॐ जय प्रभात...॥
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कामिका श्रावण मास में आवै, कृष्णपक्ष कहिए।
श्रवण शुक्ला होय पवित्रा आनंद से रहिए॥
ॐ जय प्रभात...॥
श्रवण शुक्ला होय पवित्रा आनंद से रहिए॥
ॐ जय प्रभात...॥
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अजा भाद्रपद कृष्णपक्ष की, परिवर्तिनी शुक्ला।
इंद्रा आश्चिन कृष्णपक्ष में, व्रत से भवसागर निकला॥
ॐ जय प्रभात...॥
इंद्रा आश्चिन कृष्णपक्ष में, व्रत से भवसागर निकला॥
ॐ जय प्रभात...॥
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शुक्ल पक्ष में पापांकुशा है, आप हरणहारी।
राम मास कार्तिक में आवै, सुखदायक भारी॥
ॐ जय प्रभात...॥
राम मास कार्तिक में आवै, सुखदायक भारी॥
ॐ जय प्रभात...॥
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देवोत्थानी शुक्लपक्ष की, दुःखनाशक मैया।
पावन मास में आगमन विनती पार करो नैया॥
ॐ जय प्रभात...॥
पावन मास में आगमन विनती पार करो नैया॥
ॐ जय प्रभात...॥
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परमा कृष्णपक्ष में होता है, जन मंगल करना।
शुक्ल मास में होय पद्मिनी दुःख दारिद्र हरणी॥
ॐ जय प्रभात...॥
शुक्ल मास में होय पद्मिनी दुःख दारिद्र हरणी॥
ॐ जय प्रभात...॥
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जो कोई आरती ब्रह्मा की, भक्ति सहित गावै।
जन गुरुदिता स्वर्ग का वासा, स्थिर वह पावै॥
ॐ जय प्रभात...॥
जन गुरुदिता स्वर्ग का वासा, स्थिर वह पावै॥
ॐ जय प्रभात...॥