॥ દોહા ॥
લાઇબ્રેરી વીણા વાદિની,ધારી ગણપતિનું ધ્યાન.
મહાशक्ति राधा सहित, कृष्ण करौ कल्याण ॥
સુમિરન કરી સબ દેવગણ,ગુરુ પીતુ बारम्बार।
બરનૌ શ્રીગિરિરાજ સફળતા,નિજ મતિ કે અનુસાર ॥
॥ चौपाई ॥
जय हो जय बंदित गिरिराजा। ब्रज मण्डल के श्री महाराजा।
विष्णु रूप तुम हो अवतारी।सुन्दरता पै जग बलिहारी ॥
स्वर्ण शिखर अति शोभा पामें। सुर मुनि गण दरशन कूं आमें ॥
શાંત કન્દ્રા સ્વર્ગ સમાના।જ્યાં તપસ્વી ધરતે ધ્યાના
દ્રોણગિરિ કે તમે યુવરાજા। भक्तन के साधौ हौ काजा ॥
मुनि पुलस्त्य जी के मन भाये।जोर विनय कर तुम कूँ लाये ॥
मुनिवर संघ जब ब्रज में आये।लखि ब्रजभूमि यहाँ ठहरायाये ॥
વિષ્ણુ ધમ ગૌલોક સુહાવન।યमुना गोवर्धन वृंदावन॥
देख देव मन में ललचाये। बास करण बहु रूप बनाये ॥
કોઉ બાનર કોઉ मृग के रूप।કોઉ વૃક્ષ કોઉ લતા સ્વરૂપા ॥
આનંદ લેન ગોલોક ધામ કે પરમ ઉપાસક તરીકે નામ કે ॥
દ્વાપર અંત ભયે અવતારી ।કૃષ્ણચન્દ્ર આનંદ મુરારી ॥
महिमा तुम्हरी कृष्ण बखानी।पूजा करिबे की मन थानी।
ब्रजवासी सब के लिए बुलाई।गोवर्द्धन पूजा करवाई॥
पूजन कूँ व्यञ्जन बनवाये। ब्रजवासी घर ते लाये ॥
ग्वाल बाल मिलि पूजा कीनी।सहस भुजा तुमने कर लीनी।
સ્વયં પ્રગટ હો કૃષ્ણ પૂજામાં.
લખિ નર નારિ મન હરષામાં।જૈ જૈ ગિરિવર ગુણ ગામેં ॥
देवराज मन में रिसियाए।नष्ट करण ब्रज मेघ बुलाए ॥
छाँया कर ब्रज लयौ बचाई।एकउ बूँद न नीचे आई ॥
सात दिवस भाई बरसा भारी।थके मेघ भारी जलधारी॥
कृष्णचंद्र ने नख पैधारे।नमो नमो ब्रज के रखवारे।
કરી અભિમાને સુરસાઇ।ક્ષ માँगि पुन अस्तुति गाई।
त्राहि माम् मैं शरण तिहारी ।क्षमा करो प्रभु गलत हमारी ॥
बार बार बिनती अति कीनी।सात कोस परिकम्मा दीनी ॥
संग सुरभि ऐरावत लाये।हाथ जोड़ कर भेंट गहये ॥
अभय दान पा इन्द्र सिहाये।करी प्रणाम निज लोक सिधाये ॥
જે તે કથા સુનૈં चित लावें।अंत समय सुरपति पद पावें ॥
गोद्धर्ण है नाम तिहारौ।करते भक्तन कौ निस्तारौ ॥
જે नर तुम्हरे दर्शन पावें।
कुण्डन में जो आचमन।धन्य वह मानव जीवन॥
માનસી ગંગા में जो न्हावें।सीधे स्वर्ग लोक कूँ जावं॥
દૂધ ચઢા જે ભોગ લગાવે છે।
जल फल तुलसी पत्र चढ़ावें।मन वांछित फल निश्चय पावें ॥
जो नर देते दूध की धारा। भरौ है ताकौ भण्डारा ॥
કરો जागरण जो नर।दुख दरिद्र भय ताहि न होई ॥
'श्याम' શિલામય નિજ જન ત્રાતા।भक्ति मुक्ति सरबस के दाता॥
पुत्र हीन जो तुम कूँ ध्यावें।ताकूँ पुत्र प्राप्ति ह्वै जावें॥
दंडौती परिकम्मा करहीं। सहजहि भवसागर जैसी ॥
कलि में तुम सम देव न दूजा। सुर नर मुनि सब करते पूजा ॥
॥ દોહા ॥
जो यह चालीसा पढ़ै, सुनै शुद्ध चित्त लाय।
સત્ય તે સત્ય છે, गिरिवर सत्य करै सहाय ॥
ક્ષમા કરવી અપરાધી મમ,ત્રાહિ મામ્ ગિરિરાજ.
श्याम बिहारी शरण में,गोवर्द्धन महाराज ॥